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हिंदी विभाग की अकादमिक एवं साहित्यिक - सांस्कृतिक गतिविधियाँ की मीडिया रिपोर्ट

Department of Hindi conducts courses of B.A (Hons.) Hindi and M.A Hindi. These Courses are much popular among the students because of its carrier and future possibilities after completed these courses students able to get bright future in various fields i.e. Media, Films, Teaching, Translation, Civil services etc. Many Alumni of the Department served the Nation in different of fields. The Department not only provides the carrier opportunity but also aware the students about social duties.

शिवाजी कॉलेज के हिंदी विभाग द्वारा प्रेमचंद जयंती के उपलक्ष में 'प्रेमचंद और आज' शीर्षक के अन्तर्गत विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया (31 जुलाई 2019)। जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में कार्यरत प्रो० निरंजन कुमार ने अपना महत्वपूर्ण वक्तव्य दिया। व्याख्यान का शुभारंभ राष्ट्रगान के साथ किया गया। प्रेमचंद पर आधारित एक लघु फ़िल्म भी दिखाई गई। इस अवसर पर हिंदी विभाग के प्रभारी एवं कार्यक्रम संयोजक डॉ. दर्शन पांडेय, डॉ सर्वेश दुबे, डॉ रुचिरा ढींगरा, डॉ. वीरेंद्र भारद्वाज डॉ. विकास शर्मा, डॉ. राजकुमारी एवं अन्य साथी शिक्षक, शोधार्थी तथा विभिन्न कॉलेजों से आये छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

शिवाजी कॉलेज के हिंदी विभाग की साहित्यिक सांस्कृतिक समिति साहित्य संगम के तत्वावधान में हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में दो दिवसीय (18-19 सितम्बर) अंतर महाविद्यालयीन प्रतियोगिताएं एवं राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के पहले दिन विद्यार्थियों के लिए अंतर महाविद्यालयीन प्रतियोगिताएं रखी गईं। पोस्टर मेकिंग, स्वरचित काव्य पाठ एवं लघु फ़िल्म निर्माण प्रतियोगिताओं में विभिन्न कॉलेजों के विद्यार्थियों ने भाग लिया। वहीं कार्यक्रम के दूसरे दिन हिंदी के दो वरिष्ठ विद्वानों का वक्तव्य रखा गया, जिनमें मुख्य वक्ता के रूप में अध्यक्ष एवं प्रोफेसर ,हिंदी विभाग , मुम्बई विश्वविद्यालय के प्रो. करुणाशंकर उपाध्याय तथा अध्यक्षीय वक्तव्य के लिए केंद्रीय हिंदी संस्थान से सेवानिवृत्त प्रोफेसर भरत सिंह जी का उद्बोधन हुआ। प्रो. उपाध्याय ने हिंदी की स्थिति और हिंदी के भविष्य को लेकर बहुत ही तथ्यात्मक जानकारी दी।

Activities on Hindi Diwas

शिवाजी कॉलेज के हिन्दी विभाग की साहित्यिक सांस्कृतिक समिति साहित्य संगम एवं महाकवि जयशंकर प्रसाद फाउंडेशन द्वारा" कामायनी एवं गीतांजलि का वैशिष्ट्य" विषय पर संयुक्त रूप से एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया (13 नवम्बर 2019)। दीप प्रज्ज्वलन से कार्यक्रम के शुभारंभ के उपरांत प्रथम सत्र में महाकवि जयशंकर प्रसाद फाउंडेशन की अध्यक्ष एवं हंसराज कॉलेज की प्राचार्या प्रो .रमा ने कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए जय शंकर प्रसाद की कामायनी व रविंद्र नाथ टैगोर की गीतांगलि को स्वच्छंदतावाद, राष्ट्रवाद , 21 वीं सदी के व्यक्ति के सामने आने वाली चिंताओं और समस्याओं का निवारण कहा।

Lighting of the Lamp: “Kamayani Avam Geetanjali Ka Vaishishtya” by Hindi Department

शिवाजी कॉलेज के हिंदी विभाग में वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ . वीरेंद्र भारद्वाज ने कामायनी और गीतांजलि पर बात करते हुए बताया कि कामायनी का रचना संसार विश्व की अन्य सभ्यताओं तक विस्तृत है तथा प्रसाद का समरसता वाद भारतीय संस्कृति की देन है। इन दोनों रचनाओं को समझने लिए इन कवियों की भीतरी दशा को समझना होगा। प्रो० रामेश्वर मिश्र ने छायावाद कि चर्चा में रविन्द्र नाथ टैगोर का ज़िक्र आवश्यक माना है। गीतांजलि की भावधारा से कामायनी प्रभावित नहीं, क्योंकि प्रसाद की कामायनी और टैगोर की गीतांजलि में 25 वर्ष का अंतराल है।

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